पुण्य
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अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।
दुःखी के ग़म को चुरा के लाना आंसू उसके पी जाना।।
सुख में साथ बंटा ना सको तो दुःख में हांथ बंटाना।
अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।।
ईश्वर की सबसे बड़ी है पूजा भूखे को अन्न खिलाना।
भटका हुआ जो राही दिखे तो उसको राह दिखाना।।
नेत्रहीन को हांथ पकड़ कर मन्जिल तक पहुंचाना।
अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।।
धर्म के पथ पर आगे बढ़ कर सत्कर्म को गले लगाना।
माता, पिता और गुरु जनों का मान सदा बढ़ाना।।
कर्म और वाणी से अपनी सबके दिल में बस जाना।
अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।।
'पथिक' हो तुम यह सोंच के पथ के कांटे सदा हटाते रहना
कंकड़, पत्थर सब चुन चुन कर पथ सुगम बनाते रहना।।
दीपक बन कर तुम जलो सदा पथ आलोकित कर जाना।
अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।।
माता,पिता की सेवा कर जीवन को सफल बनाना।
दया धर्म को दिल में रख दुखियों को गले लगाना।।
मातृ भूमि की रक्षा के हित खुद न्योछावर हो जाना।
अवनी पर सबसे बड़ा पुण्य है रोते को खूब हंसाना।।
स्वरचित:- विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
29-Sep-2022 08:22 PM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब
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Raziya bano
07-Sep-2022 03:33 PM
Nice
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Pratikhya Priyadarshini
06-Sep-2022 11:07 PM
बहुत खूब
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